अभंगवाणी
तुझिये निढळीं कोटि चंद्र-प्रकाशे | Tuziye Nidhali Koti Chandr Prakashe
तुझिये निढळीं कोटि चंद्र-प्रकाशे । कमल-नयन हास्य-वदन हांसे ॥१॥
घडिये घडिये गूज बोल कां रे | कृष्णा हाल कां रे कृष्णा डोल कां रे ॥२॥
उभा राहोनियां कैसा हालवितो बाहो । बाप रखुमादेविवरु विठ्ठलु नाहो ॥३॥
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